उल्हासनगर शहर दुनिया का पहला शहर होगा जहां पर चार महीने मानसून में खड्डे को लेकर तो आठ महीने धूल को लेकर उल्हासनगर के लोग परेशान रहते है।इस समस्या का मूल कारण भ्रष्टाचार है।मानसूनी खड्डे को भरने के लिए करोड़ो रूपये का ठेका दिया जाता हैं।ठेकेदार खड्डे को भरने के लिए गिट्टी, मिट्टी का प्रयोग करता हैं। जो मानसून खत्म होने के बाद वाहनों के चलने के कारण जबरदस्त धूल उड़ती हैं।
उल्हासनगर की सड़को की धूल के कारण सामान्य लोगो के साथ ही व्यापारियों की ऐसी की तैसी हो जाती हैं।दुकानदारों को धूल से बचने के लिए पर्दा लगाना पड़ता हैं। लोगो को धूल से बचने के लिए मास लगाना पड़ता है। धूल की समस्या सबसे अधिक कमला नगर के लोगो को जूझना पड़ता है।इतना ही नहीं लोगो को श्वास रोग होने की संभावनाएं रहती है।
उल्हासनगर का सार्वजनिक बांधकाम विभाग जो बिना का का विभाग साबित हो रहा हैं।आज देखा जा रहा हैं शहर की सीमेंट की सड़क को छोड़ दे तो अधिकांश सड़को के किनारे धूल के ढेर पड़ी हैं। सड़क चालीस फुट की हैं तो बस फूट पर न तो डाबर है न ही प्योर ब्लाक लगा है।
शहर में खदान से पत्थर का बुरादा लेकर चलने वाले डपर ओवर लोड होने के कारण सड़को पर बुरादे गिरते रहते है।जिसके कारण पत्थर का बुरादा मिट्टी बन कर उड़ रहा हैं।जिसके चलते लोगो को श्वास रोग हो रहा हैं।बड़े लोग बंद गाड़ी से चलते है।उन्हें जनता का यह दुःख दिखाई नहीं देता हैं। मनपा आयुक्त विकास ढाकने को चाहिए धूल से उल्हासनगर वासियों को निजात दिलाए।
प्रदीप भोसले, उल्हासनगर।